श्र्म विभाजन और जाती प्रथा - 10th Class Hindi Objective Question Answer

 

श्र्म विभाजन और जाती प्रथा - 10th Class Hindi Objective Question Answer

श्रम विभाजन और जाति प्रथा – पूरा सारांश (Class 10 Hindi)

लेखक – डॉ. अम्बेडकर (B. R. Ambedkar)

इस पाठ में डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने यह बताया है कि कैसे भारतीय समाज में जाति-प्रथा ने प्राकृतिक श्रम विभाजन को गलत दिशा में बदल दिया। उन्होंने यह समझाया कि दुनिया में कहीं भी श्रम को लेकर ऐसा भेदभाव नहीं है जैसा भारत में जाति के आधार पर पाया जाता है।

1. श्रम विभाजन क्या है?

श्रम विभाजन का अर्थ है—

समाज में लोग अपनी योग्यता, रुचि और क्षमता के अनुसार अलग-अलग काम करें, जिससे काम आसान भी हो और समाज का विकास भी हो।

उदाहरण: कोई डॉक्टर बने, कोई शिक्षक, कोई किसान — क्योंकि सबकी क्षमताएँ अलग होती हैं।

यह श्रम विभाजन स्वाभाविक है और दुनिया भर में यही माना जाता है।

2. भारत में श्रम विभाजन कैसे ‘जाति विभाजन’ बन गया?

डॉ. अम्बेडकर बताते हैं कि भारत में श्रम का बंटवारा कौशल या रुचि के आधार पर नहीं, बल्कि जन्म और जाति के आधार पर किया गया।

यहाँ काम चुनने का अधिकार नहीं था, बल्कि

जिस जाति में जन्म लिया, वही काम करना पड़ा।

इससे श्रम को सम्मान नहीं मिला और अनेक जातियों को नीचा माना गया।

3. जाति-प्रथा की सबसे बड़ी समस्या

जाति-प्रथा ने समाज को कई तरह से कमजोर किया—

✔ (1) व्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म की

लोग अपनी पसंद का काम नहीं कर सकते थे।

जैसे— बढ़ई का बेटा बढ़ई ही बनेगा, चाहे वह बड़ा वैज्ञानिक क्यों न बनना चाहता हो।

✔ (2) उच्च और निम्न भावना

कुछ जातियों को ‘उच्च’ और कुछ को ‘निम्न’ माना गया।

इससे समाज में सम्मान और अवसर का असमान वितरण हुआ।

✔ (3) सामाजिक एकता नष्ट हुई

जाति-प्रथा ने लोगों को आपस में बाँट दिया।

लोग एक साथ काम नहीं करते, एक-दूसरे से मिलने-जुलने तक में भेद रखते हैं।

✔ (4) पेशे बदलने की मनाही

दुनिया में लोग अपनी पसंद के काम बदल सकते हैं, पर भारत में जाति ने यह स्वतंत्रता छीन ली।

4. श्रम का सम्मान क्यों जरूरी है?

डॉ. अम्बेडकर कहते हैं कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता,

पर जाति-प्रथा ने कुछ कामों को ‘ऊँचा’ और कुछ को ‘नीचा’ बताकर बहुत अन्याय किया।

जब तक श्रम को सम्मान नहीं मिलेगा, तब तक समाज में बराबरी नहीं आ सकती।

5. जाति-प्रथा समाज के विकास में बाधा

भारत में जाति-प्रथा के कारण—

लोग नई खोजें, नए प्रयोग और नई तकनीक नहीं अपनाते

प्रतिभाएँ पनप नहीं पातीं

समाज पिछड़ जाता है

गरीबी और अशिक्षा बढ़ती है

जब एक व्यक्ति को उसकी क्षमता के अनुसार काम नहीं मिलता, तो पूरे देश का विकास रुक जाता है।

6. अम्बेडकर का संदेश

लेखक यह संदेश देते हैं कि—

🔹सबको समान अधिकार मिलें।

🔹जाति के आधार पर कोई भेदभाव न हो।

🔹हर काम का सम्मान हो।

🔹श्रम को पवित्र और सम्मानित मानें।

समाज तभी आगे बढ़ेगा जब जाति-प्रथा खत्म होगी और सभी लोग समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों को अपनाएँगे।

निष्कर्ष

यह पाठ हमें यह सिखाता है कि—

⭐ श्रम विभाजन प्राकृतिक और उपयोगी है,

परन्तु

⭐ जाति-आधारित श्रम विभाजन अन्यायपूर्ण और अमानवीय है।

डॉ. अम्बेडकर चाहते थे कि भारत में हर व्यक्ति को अपनी रुचि और योग्यता के अनुसार काम करने का स्वतंत्र अधिकार मिले और समाज जाति-भेद से मुक्त होकर समझदारी और समानता के रास्ते पर चले।

नीचे “श्रम विभाजन और जाति-प्रथा” (Class 10 Hindi) के सारांश, महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर, लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न—सब कुछ एक ही जगह सरल भाषा में दिया गया है।

यह परीक्षा में बहुत उपयोगी रहेगा।

⭐ 1. सारांश (Summary) — 150 शब्दों में

“श्रम विभाजन और जाति-प्रथा” पाठ में डॉ. भीमराव अम्बेडकर बताते हैं कि श्रम विभाजन समाज के विकास के लिए आवश्यक है। सामान्य रूप से श्रम विभाजन किसी व्यक्ति की योग्यता और रुचि के अनुसार किया जाता है, परंतु भारत में यह परंपरा जन्म और जाति पर आधारित है। यहाँ व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं चुन सकता, बल्कि जन्म से निर्धारित पेशा ही करना पड़ता है। इस व्यवस्था ने समाज को उच्च-निम्न वर्गों में बाँट दिया और कार्यों को सम्मान देने की जगह जाति को महत्व दिया। इससे सामाजिक एकता, प्रगति और स्वतंत्रता बाधित हुई। अम्बेडकर कहते हैं कि श्रम किसी भी प्रकार का हो, वह सम्मान के योग्य है। जाति-प्रथा का उन्मूलन तभी संभव है जब हम समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों को अपनाएँ तथा हर व्यक्ति को अपनी पसंद के कार्य में आगे बढ़ने का अवसर मिले।

⭐ 2. बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर (VVI Questions & Answers)

प्रश्न 1: श्रम विभाजन से क्या अभिप्राय है?

उत्तर: समाज में लोगों के कार्यों को उनकी योग्यता, रुचि और क्षमता के अनुसार बाँटना श्रम विभाजन कहलाता है। इससे कार्य आसान होता है और समाज का विकास होता है।

प्रश्न 2: भारत में श्रम विभाजन को अम्बेडकर ने “जाति विभाजन” क्यों कहा?

उत्तर: क्योंकि भारत में पेशा योग्यता या रुचि के आधार पर नहीं, बल्कि जन्म और जाति के आधार पर तय किया जाता है। इसलिए यहाँ श्रम विभाजन असमान और अन्यायपूर्ण है।

प्रश्न 3: जाति-प्रथा से व्यक्ति की स्वतंत्रता कैसे प्रभावित होती है?

उत्तर: जाति-प्रथा में व्यक्ति अपनी पसंद का काम नहीं चुन सकता। उसे वही काम करना पड़ता है जो उसकी जाति से जुड़ा हुआ है। इससे उसकी स्वतंत्रता, प्रतिभा और विकास रुक जाता है।

प्रश्न 4: लेखक के अनुसार भारत में कुछ कार्यों को ‘छोटा’ क्यों माना गया?

उत्तर: क्योंकि जाति-प्रथा ने कार्यों को जातियों से जोड़ दिया। उच्च जातियों के कार्य ‘ऊँचे’ और निम्न जातियों के कार्य ‘नीचे’ माने गए, जबकि श्रम किसी भी प्रकार का हो, सम्मान के योग्य है।

प्रश्न 5: अम्बेडकर जाति-प्रथा को समाज के विकास में बाधा क्यों मानते हैं?

उत्तर: क्योंकि जाति-प्रथा प्रतिभाओं को दबाती है, लोगों को विभाजित करती है, सामाजिक एकता तोड़ती है और नए विचारों व प्रगतियों को रोकती है। इससे देश का विकास रुक जाता है।

प्रश्न 6: श्रम के प्रति लेखक का दृष्टिकोण क्या है?

उत्तर: लेखक मानते हैं कि कोई भी श्रम छोटा या बड़ा नहीं होता। हर कार्य सम्मानयोग्य है और श्रम करने वाले सभी लोग समान सम्मान के पात्र हैं।

प्रश्न 7: जाति-प्रथा से सामाजिक समरसता पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर: जाति-प्रथा समाज को आपस में ऊँच-नीच और भेदभाव में बाँट देती है। इससे सामाजिक एकता, भाईचारा और सौहार्द नष्ट हो जाता है।

⭐ 3. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)

प्र. 1: जाति-प्रथा का मुख्य आधार क्या है?

उत्तर: जाति-प्रथा का आधार जन्म और वंशानुगत पेशा है, न कि योग्यता या रुचि।

प्र. 2: श्रम विभाजन का मुख्य लाभ क्या है?

उत्तर: इससे कार्य कुशलता से होता है, समय बचता है और समाज में विशेषज्ञता विकसित होती है।

प्र. 3: जाति-प्रथा में पेशा बदलने की क्या स्थिति थी?

उत्तर: व्यक्ति अपनी जाति के बाहर कोई अन्य पेशा नहीं चुन सकता था। पेशा बदलना सामाजिक रूप से वर्जित था।

प्र. 4: अम्बेडकर ने कौन-सा आदर्श समाज का स्वरूप बताया है?

उत्तर: ऐसा समाज जहाँ सभी को समान अधिकार मिले, कोई जातिगत भेदभाव न हो और श्रम का सम्मान किया जाए।

प्र. 5: जाति-प्रथा व्यक्ति की प्रगति में कैसे बाधक है?

उत्तर: यह व्यक्ति की प्रतिभा को सीमित कर देती है और उसे अपने पसंदीदा कार्य से दूर रखती है।

⭐ 4. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)

प्र. 1: श्रम विभाजन और जाति-प्रथा के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

सामान्यतः श्रम विभाजन व्यक्ति की योग्यता, रुचि और क्षमता के अनुसार होता है। इसका उद्देश्य कार्य को सरल, व्यवस्थित और प्रभावशाली बनाना होता है। परन्तु भारत में यह श्रम विभाजन जाति-प्रथा में बदल गया है, जहाँ पेशे का निर्धारण जन्म के आधार पर होता है। यहाँ व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार पेशा नहीं चुन सकता। जाति-प्रथा ने कार्यों को उच्च-नीच वर्गों में बाँट दिया है, जिससे सामाजिक असमानता, भेदभाव और स्वतंत्रता का हनन हुआ। इसलिए श्रम विभाजन स्वाभाविक और उपयोगी है, जबकि जाति-आधारित श्रम विभाजन हानिकारक है।

प्र. 2: अम्बेडकर जाति-प्रथा को क्यों अमानवीय और अवैज्ञानिक बताते हैं?

उत्तर:

अम्बेडकर के अनुसार जाति-प्रथा मनुष्य की स्वतंत्रता छीन लेती है, इसलिए यह अमानवीय है। इसमें व्यक्ति का मूल्य उसकी योग्यता से नहीं, बल्कि जन्म से तय होता है, जो अवैज्ञानिक है। जाति-प्रथा समाज में ऊँच-नीच की भावना पैदा करती है, जिससे सामाजिक एकता टूटती है। यह नई खोजों, विचारों और प्रतिभाओं को दबाती है, जिससे समाज का विकास रुक जाता है। जाति-प्रथा लोगों को अलग-अलग वर्गों में बाँटकर उनके बीच भेदभाव पैदा करती है। इसलिए अम्बेडकर इसे समाप्त कर समानता और बंधुत्व का समाज बनाने की आवश्यकता बताते हैं।

प्र. 3: श्रम का सम्मान क्यों आवश्यक है? लेखक का दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

उत्तर:

लेखक का मानना है कि श्रम किसी भी प्रकार का हो—चाहे शारीरिक हो या मानसिक—उसे सम्मान मिलना चाहिए। श्रम के बिना समाज अस्तित्व में नहीं रह सकता। जाति-प्रथा ने कुछ कार्यों को ‘छोटा’ और कुछ को ‘बड़ा’ बताकर श्रमिकों का अपमान किया, जबकि कार्य की महत्ता व्यक्ति की योग्यता और मेहनत पर निर्भर करती है। श्रम को सम्मान मिलने से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है, समाज में समानता आती है और देश प्रगति करता है। इसलिए लेखक कहते हैं कि श्रम महान है और हर श्रमिक सम्मान का अधिकार रखता है।

यहाँ “श्रम विभाजन और जाति-प्रथा” (Class 10 Hindi) के MCQ, एक शब्द/परिभाषा वाले प्रश्न, और महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर दिए जा रहे हैं।

ये परीक्षा में बहुत उपयोगी हैं।

🌟 1. MCQ (बहुविकल्पी प्रश्न)

1. श्रम विभाजन का अर्थ है—

A. लोगों में ऊँच-नीच करना

B. कार्यों को उनकी क्षमता के अनुसार बाँटना

C. जन्म के आधार पर काम बाँटना

D. जाति के आधार पर भेदभाव करना

✔ सही उत्तर: B

2. अम्बेडकर के अनुसार भारत में श्रम विभाजन किस आधार पर होता है?

A. प्रयत्न

B. योग्यता

C. जन्म और जाति

D. इच्छा

✔ सही उत्तर: C

3. जाति-प्रथा की सबसे बड़ी कमी क्या है?

A. कार्य को कठिन बनाना

B. समाज को एक करना

C. व्यक्ति की स्वतंत्रता छीनना

D. लोगों में प्रेम बढ़ाना

✔ सही उत्तर: C

4. किसने ‘श्रम विभाजन और जाति-प्रथा’ पाठ लिखा है?

A. रामधारी सिंह दिनकर

B. प्रेमचंद

C. महात्मा गांधी

D. डॉ. भीमराव अम्बेडकर

✔ सही उत्तर: D

5. जाति-प्रथा में कार्य का निर्धारण किस आधार पर था?

A. परीक्षा

B. जन्म

C. चुनाव

D. शक्ति

✔ सही उत्तर: B

6. लेखक के अनुसार श्रम—

A. केवल ऊँची जातियों का होता है

B. नीची जातियों का होता है

C. छोटा-बड़ा नहीं होता

D. सम्मान के योग्य नहीं होता

✔ सही उत्तर: C

7. जाति-प्रथा समाज को किस प्रकार प्रभावित करती है?

A. एकजुट करती है

B. भाईचारा बढ़ाती है

C. विभाजित करती है

D. प्रगति कराती है

✔ सही उत्तर: C

8. प्राकृतिक श्रम विभाजन का आधार है—

A. जाति

B. जन्म

C. योग्यता और रुचि

D. धर्म

✔ सही उत्तर: C

9. जाति-प्रथा किस चीज़ पर आधारित है?

A. परिश्रम

B. शिक्षा

C. वंशानुगत पेशा

D. धन

✔ सही उत्तर: C

10. लेखक ने श्रम को कैसा बताया है?

A. तुच्छ

B. अमाननीय

C. सम्माननीय

D. अशुद्ध

✔ सही उत्तर: C

🌟 2. एक शब्द/परिभाषा वाले प्रश्न

1. श्रम विभाजन क्या है?

उत्तर: कार्यों का क्षमता और रुचि के आधार पर बाँटना।

2. जाति-प्रथा क्या है?

उत्तर: जन्म और वंशानुगत पेशे पर आधारित सामाजिक व्यवस्था।

3. अवैज्ञानिक व्यवस्था किसे कहा गया है?

उत्तर: जाति-प्रथा को।

4. लेखक के अनुसार कौन-सा श्रम सम्माननीय है?

उत्तर: सभी प्रकार का श्रम।

5. भारत में पेशे का आधार क्या रहा है?

उत्तर: जन्म / जाति।

6. श्रम विभाजन का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: कार्य को सरल और कुशल बनाना।

7. जाति-प्रथा समाज को क्या बनाती है?

उत्तर: विभाजित।

8. पाठ के लेखक कौन हैं?

उत्तर: डॉ. भीमराव अम्बेडकर।

9. जाति-प्रथा से कौन-सी भावना उत्पन्न होती है?

उत्तर: ऊँच-नीच की भावना।

10. श्रम के प्रति समाज का दृष्टिकोण कैसा होना चाहिए?

उत्तर: सम्मानपूर्ण।

🌟 3. महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर (Short + Long Answer)

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्र. 1: भारत में श्रम विभाजन अस्वाभाविक क्यों माना गया है?

उत्तर: क्योंकि यहाँ श्रम विभाजन योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि जन्म और जाति के आधार पर होता है, जो अस्वाभाविक है।

प्र. 2: जाति-प्रथा व्यक्ति की स्वतंत्रता कैसे छीन लेती है?

उत्तर: यह व्यक्ति को उसी पेशे में बाँध देती है जो उसकी जाति से जुड़ा है, जिससे वह अपनी पसंद का काम नहीं कर पाता।

प्र. 3: श्रम का सम्मान करना क्यों जरूरी है?

उत्तर: हर कार्य समाज के लिए आवश्यक है। श्रम का सम्मान करने से समानता और भाईचारा बढ़ता है।

प्र. 4: जाति-प्रथा समाज के विकास में बाधा क्यों है?

उत्तर: यह प्रतिभाओं को दबाती है, नई सोच रोकती है और समाज को बाँटती है, जिससे विकास रुक जाता है।

प्र. 5: श्रम विभाजन का सही आधार क्या होना चाहिए?

उत्तर: व्यक्ति की क्षमता, योग्यता और रुचि।

🌟 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्र. 1: श्रम विभाजन और जाति-प्रथा में क्या अंतर है? विस्तृत रूप में लिखिए।

उत्तर:

श्रम विभाजन समाज में कार्यों को इस आधार पर बाँटने की प्रक्रिया है कि कौन-सा व्यक्ति किस काम में अधिक कुशल और रुचि रखता है। यह व्यवस्था स्वाभाविक और वैज्ञानिक होती है। इससे समाज का विकास होता है।

परन्तु भारत में यही श्रम विभाजन जाति-प्रथा में बदल गया जिसमें पेशा जन्म से तय हो गया। व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार पेशा नहीं चुन सकता। जाति के आधार पर कार्यों को ऊँचा-नीचा माना गया, जिससे असमानता, भेदभाव और स्वतंत्रता का हनन हुआ। इस प्रकार श्रम विभाजन उपयोगी है पर जाति-आधारित श्रम विभाजन समाज के लिए हानिकारक है।

प्र. 2: अम्बेडकर जाति-प्रथा को अमानवीय क्यों कहते हैं?

उत्तर:

अम्बेडकर कहते हैं कि जाति-प्रथा मनुष्य की स्वतंत्रता छीन लेती है, इसलिए यह अमानवीय है। इसमें व्यक्ति का मूल्य जन्म से तय होता है, न कि योग्यता से। यह ऊँच-नीच, भेदभाव और विभाजन को बढ़ावा देती है। जाति-प्रथा समाज में एकता और भाईचारा खत्म कर देती है और देश के विकास को रोकती है। इसलिए लेखक इसे अन्यायपूर्ण, अवैज्ञानिक और अमानवीय बताते हैं।

प्र. 3: श्रम का सम्मान समाज के लिए क्यों आवश्यक है?

उत्तर:

श्रम समाज का आधार है। बिना श्रम कोई भी कार्य, संस्था या राष्ट्र आगे नहीं बढ़ सकता। सभी प्रकार का श्रम समान रूप से आवश्यक और सम्माननीय है। जाति-प्रथा ने कुछ कार्यों को नीचा दिखाया, जिससे श्रमिकों का अपमान हुआ। श्रम का सम्मान मिलने से व्यक्ति की आत्मगौरव भावना बढ़ती है, समानता स्थापित होती है और समाज में भाईचारा बढ़ता है। इसलिए श्रम का सम्मान अत्यंत आवश्यक है।

⭐ 40 MOST IMPORTANT OBJECTIVE QUESTIONS

(With Answers)

1. ‘श्रम विभाजन और जाति-प्रथा’ के लेखक हैं—

A. प्रेमचंद

B. दिनकर

C. डॉ. भीमराव अम्बेडकर

D. महादेवी वर्मा

✔ उत्तर: C

2. श्रम विभाजन का अर्थ है—

A. जाति बांटना

B. काम को भागों में बाँटना

C. ऊँच-नीच करना

D. जन्म के आधार पर पेशा तय करना

✔ उत्तर: B

3. भारत में श्रम विभाजन किस आधार पर होता रहा है?

A. धन

B. जाति

C. मित्रता

D. धर्म

✔ उत्तर: B

4. किस व्यवस्था में व्यक्ति पेशा बदल नहीं सकता?

A. लोकतंत्र

B. जाति-प्रथा

C. पूँजीवाद

D. साम्यवाद

✔ उत्तर: B

5. लेखक के अनुसार कौन-सा श्रम तुच्छ नहीं है?

A. बौद्धिक श्रम

B. शारीरिक श्रम

C. कृषि श्रम

D. कोई भी श्रम

✔ उत्तर: D

6. जाति-प्रथा किस पर आधारित है?

A. प्रतियोगिता

B. योग्यता

C. जन्म

D. शिक्षा

✔ उत्तर: C

7. श्रम विभाजन का सही आधार है—

A. जाति

B. क्षमता

C. धर्म

D. ऊँच-नीच

✔ उत्तर: B

8. भारत में श्रम विभाजन को लेखक ने क्या कहा है?

A. अन्याय

B. जाति-विभाजन

C. वैज्ञानिक व्यवस्था

D. तर्कसंगत व्यवस्था

✔ उत्तर: B

9. जाति-प्रथा की सबसे बड़ी समस्या है—

A. शिक्षा

B. स्वतंत्रता का अभाव

C. दौलत

D. कला

✔ उत्तर: B

10. जाति-प्रथा समाज को—

A. एकजुट करती है

B. मजबूत करती है

C. विभाजित करती है

D. सुखी बनाती है

✔ उत्तर: C

11. प्राकृतिक श्रम विभाजन किस पर आधारित होता है?

A. कौशल और रुचि

B. जाति

C. धर्म

D. जन्म

✔ उत्तर: A

12. जाति-प्रथा में कौन-सी भावना पाई जाती है?

A. बराबरी

B. भ्रातृत्व

C. ऊँच-नीच

D. प्रेम

✔ उत्तर: C

13. जाति के आधार पर पेशा तय करना—

A. वैज्ञानिक है

B. अवैज्ञानिक है

C. उचित है

D. आवश्यक है

✔ उत्तर: B

14. अम्बेडकर जाति-प्रथा को किस प्रकार बताते हैं?

A. महान

B. वैज्ञानिक

C. अमानवीय

D. उपयोगी

✔ उत्तर: C

15. श्रम का सम्मान होना चाहिए क्योंकि—

A. यह मनोरंजन है

B. यह समाज का आधार है

C. यह खेल है

D. यह मुश्किल होता है

✔ उत्तर: B

16. जाति-प्रथा में कौन-सा अधिकार सीमित हो जाता है?

A. स्वतंत्रता

B. शिक्षा

C. धन

D. खेल

✔ उत्तर: A

17. जाति-प्रथा प्रतिभाओं को—

A. बढ़ावा देती है

B. दबा देती है

C. सम्मान देती है

D. प्रेरित करती है

✔ उत्तर: B

18. कार्य का निर्धारण होना चाहिए—

A. जन्म से

B. जाति से

C. रुचि से

D. मजबूरी से

✔ उत्तर: C

19. श्रम विभाजन से क्या होता है?

A. काम बिगड़ता है

B. काम आसान होता है

C. काम खत्म होता है

D. काम धीमा होता है

✔ उत्तर: B

20. ‘जाति-प्रथा’ ने समाज को—

A. जोड़ा

B. विभाजित किया

C. उन्नत किया

D. खुश किया

✔ उत्तर: B

21. श्रम विभाजन का विरोध क्यों किया गया?

A. यह जाति-आधारित था

B. यह आसान था

C. यह स्वाभाविक था

D. यह लाभदायक था

✔ उत्तर: A

22. जाति-प्रथा कहाँ पनपती है?

A. समानता में

B. भेदभाव में

C. प्रेम में

D. बंधुत्व में

✔ उत्तर: B

23. जाति-प्रथा किस प्रकार की व्यवस्था है?

A. तर्कसंगत

B. अवैज्ञानिक

C. आधुनिक

D. वैज्ञानिक

✔ उत्तर: B

24. श्रम विभाजन किसे रोकता है?

A. शिक्षा

B. स्वतंत्रता

C. सहयोग

D. रोजगार

✔ उत्तर: C

25. जाति-प्रथा में माना जाता था कि—

A. हर काम बराबर है

B. कुछ काम छोटे हैं

C. सभी को श्रम करना चाहिए

D. श्रम महत्वपूर्ण नहीं है

✔ उत्तर: B

26. जाति-प्रथा सफल समाज के लिए—

A. जरूरी

B. लाभकारी

C. हानिकारक

D. उपयोगी

✔ उत्तर: C

27. अम्बेडकर ने किस बात पर जोर दिया?

A. जाति को मजबूत करने पर

B. श्रम के सम्मान पर

C. ऊँच-नीच बढ़ाने पर

D. जाति बचाने पर

✔ उत्तर: B

28. जाति-प्रथा में क्षमता का महत्व—

A. अधिक

B. कम

C. बिलकुल नहीं

D. कुछ-कुछ

✔ उत्तर: C

29. प्राकृतिक श्रम विभाजन होता है—

A. जन्म-आधारित

B. रुचि-आधारित

C. जाति-आधारित

D. मजबूरी-आधारित

✔ उत्तर: B

30. उच्च-निम्न भावना किससे जन्म लेती है?

A. समानता से

B. जाति-प्रथा से

C. शिक्षा से

D. श्रम से

✔ उत्तर: B

31. जाति-प्रथा में व्यक्ति—

A. स्वतंत्र होता है

B. अपनी पसंद का काम करता है

C. बंधा रहता है

D. विकास करता है

✔ उत्तर: C

32. श्रम का सम्मान न मिलने से—

A. समाज मजबूत होता है

B. असमानता बढ़ती है

C. समानता आएगी

D. विकास तेज होगा

✔ उत्तर: B

33. श्रम किसका आधार है?

A. राष्ट्र का

B. धन का

C. गरीबी का

D. धर्म का

✔ उत्तर: A

34. जाति-प्रथा में कार्य किसका प्रतीक बन गया?

A. सम्मान का

B. जन्म का

C. योग्यता का

D. स्वतंत्रता का

✔ उत्तर: B

35. समाज को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक है—

A. जातियाँ बढ़ाना

B. श्रेष्ठता बढ़ाना

C. समानता और श्रम सम्मान

D. वर्ग विभाजन

✔ उत्तर: C

36. जाति-प्रथा के कारण समाज—

A. संगठित हुआ

B. प्रगति से पीछे रह गया

C. बहुत आगे बढ़ गया

D. सब एक हुए

✔ उत्तर: B

37. श्रम विभाजन का सही प्रकार है—

A. जन्म-आधारित

B. जाति-आधारित

C. रुचि-आधारित

D. रंग-आधारित

✔ उत्तर: C

38. कौन-सी व्यवस्था अमानवीय कही गई?

A. लोकतंत्र

B. जाति-प्रथा

C. शिक्षा

D. खेल

✔ उत्तर: B

39. समाज में समानता लाने के लिए क्या जरूरी है?

A. जाति बनाए रखना

B. श्रम को सम्मान देना

C. जातियों को बढ़ाना

D. श्रम को छोटा बताना

✔ उत्तर: B

40. जाति-आधारित श्रम विभाजन है—

A. स्वाभाविक

B. उपयोगी

C. हानिकारक

D. आधुनिक

✔ उत्तर: C

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