⭐ जीत जीत मैं निरखत हूँ – सम्पूर्ण कहानी / व्याख्या (10th Class Hindi)
लेखक – बिरजू महाराज
“जीत जीत मैं निरखत हूँ” एक अत्यंत सुंदर, भावपूर्ण और कलात्मक रचना है, जिसमें कथाकार—जो स्वयं बिरजू महाराज हैं—नृत्य की बारीकियों, अनुभूतियों और उसके सौंदर्य को अपने दृष्टिकोण से प्रस्तुत करते हैं। यह पाठ नृत्य की गूढ़ कलात्मकता और उसमें छिपी साधना का परिचय कराता है।
🟠 कहानी / पाठ का सार (Full Summary)
यह पाठ कथक नृत्य के महान स्तंभ बिरजू महाराज के अनुभवों और नृत्य की सूक्ष्मताओं पर आधारित है। वे बताते हैं कि नृत्य केवल शरीर की गति नहीं है, बल्कि यह मन, भाव, लय, ताल और अभिव्यक्ति का अद्भुत संयोग है।
🔶 मुख्य बिंदु सार में
लेखक बताते हैं कि वे वर्षों से नृत्य करते हुए हर बार नये अनुभव, नयी भावनाएँ और नयी बारीकियाँ खोजते हैं।
नृत्य सीखने में धैर्य, साधना, गुरु का मार्गदर्शन और निरंतर अभ्यास अत्यंत आवश्यक है।
लेखक कहते हैं कि जब वे नृत्य प्रस्तुत करते हैं, तो वे केवल प्रकट होने वाले भावों को नहीं देखते, बल्कि उन भावों के पीछे छिपे अर्थों को भी निरखते हैं।
नृत्य में नेत्र, हस्त-मुद्राएँ, पदचालन, ताल, लय और भाव—सब एक-दूसरे के पूरक हैं।
एक सच्चा नर्तक हर जीत—हर सफल प्रस्तुति—को भी सीखने का अवसर मानता है।
पाठ हमें यह सिखाता है कि कला में कभी अंतिम पड़ाव नहीं होता—हर दिन, हर बार, हर अभ्यास एक नई खोज है।
🟠 पाठ की विस्तृत व्याख्या (Full Story Explanation)
बिरजू महाराज बताते हैं कि नृत्य उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा है। बचपन से ही उन्होंने कथक नृत्य देखा, सीखा और समझा। उनके अनुसार—
⭐ 1. नृत्य एक साधना है
नृत्य का मार्ग आसान नहीं। एक-एक कदम सही करने के लिए वर्षों की साधना चाहिए। वे कहते हैं कि जब भी वे मंच पर उतरते हैं, हर बार सीखने की नई प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
⭐ 2. निरखना यानी गहराई से देखना
महाराज बताते हैं कि मंच पर वे केवल दर्शकों की प्रतिक्रिया नहीं देखते, बल्कि अपने अंगों की गति, ताल की शुद्धता, भाव की सटीकता और प्रस्तुति की पूर्णता को भी निरखते रहते हैं।
⭐ 3. भाव और लय का संगम
वे कहते हैं कि नृत्य में भाव (expression) और लय (rhythm) का संयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिना भाव के नृत्य यांत्रिक लगता है और बिना लय के नृत्य बिखरा हुआ।
⭐ 4. हर प्रस्तुति एक ‘जीत’ है
लेखक कहते हैं—
“जीत जीत मैं निरखत हूँ”—
अर्थात हर प्रस्तुति में मिली छोटी-बड़ी जीतें उन्हें अपने नृत्य को और अधिक गहराई से देखने और सुधारने का अवसर देती हैं।
⭐ 5. कला की कोई सीमा नहीं
वे समझाते हैं कि नृत्य में पूर्णता नहीं होती। जितना सीखो, उतना कम लगता है। यही भावना कलाकार को और अधिक साधना के लिए प्रेरित करती है।
🟠 मुख्य सीख (Message of the Lesson)
कला निरंतर अभ्यास से ही निखरती है।
जीत हमें रुकने के लिए नहीं, आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
कलाकार कभी सीखना नहीं छोड़ता।
सूक्ष्मता से देखना (निरखना) कला की गहराई को समझने में सहायक है।
नृत्य शरीर, मन और आत्मा का सम्मिलन है।
नीचे “जीत जीत मैं निरखत हूँ” – बिरजू महाराज (Class 10 Hindi) के
✔️ सारांश
✔️ लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर
✔️ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-उत्तर
पूरी तरह सरल, स्पष्ट और परीक्षा-उपयोगी रूप में दिए जा रहे हैं।
🟧 1. सारांश (Summary)
“जीत जीत मैं निरखत हूँ” में कथक नृत्य के महान कलाकार बिरजू महाराज अपने नृत्य-अनुभवों, साधना, गहरे अवलोकन और कला के प्रति समर्पण की चर्चा करते हैं। वे बताते हैं कि नृत्य केवल कदमों की चाल या हाथ-पैरों की हरकत नहीं, बल्कि मन, भाव, लय, ताल और अनुभूति का सुंदर मिश्रण है।
लेखक कहते हैं कि वे हर बार नृत्य करते समय अपनी प्रस्तुति को नए दृष्टिकोण से निरखते हैं—दर्शकों की प्रतिक्रिया, लय की शुद्धता, शरीर की मुद्रा, भावों की सत्यता—सब पर ध्यान देते हैं। उनका मानना है कि हर प्रस्तुति एक नयी जीत होती है, जो उन्हें और अधिक सीखने और सुधारने का अवसर देती है।
वे बताते हैं कि कला में पूर्णता का अंत नहीं। हर कलाकार को निरंतर अभ्यास, धैर्य और समर्पण के साथ आगे बढ़ना चाहिए। नृत्य एक साधना है, और हर जीत कलाकार को उत्कृष्टता की ओर प्रेरित करती है।
🟧 2. लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर (Short Answer Questions)
प्र.1. “निरखना” शब्द का पाठ में क्या अर्थ है?
उत्तर: पाठ में “निरखना” का अर्थ है—बहुत ध्यान से, गहराई से और सूक्ष्म दृष्टि से देखना।
प्र.2. लेखक नृत्य करते समय किन बातों पर ध्यान देते हैं?
उत्तर: लेखक नृत्य करते समय भाव, लय, ताल, शारीरिक मुद्राएँ, दर्शकों की प्रतिक्रिया और अपनी प्रस्तुति की शुद्धता पर ध्यान देते हैं।
प्र.3. लेखक नृत्य को साधना क्यों मानते हैं?
उत्तर: क्योंकि नृत्य में निरंतर अभ्यास, धैर्य, अनुशासन और भावों की गहराई की आवश्यकता होती है, इसलिए लेखक इसे साधना मानते हैं।
प्र.4. लेखक के अनुसार कला में पूर्णता क्यों नहीं होती?
उत्तर: क्योंकि कला असीम है, उसमें नित नए अनुभव और सीख मिलते रहते हैं, इसलिए इसकी कोई अंतिम सीमा नहीं।
प्र.5. “जीत जीत मैं निरखत हूँ” से लेखक का क्या अभिप्राय है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि हर सफल प्रस्तुति से वे कुछ नया सीखते हैं और अपनी कला को और अधिक गहराई से समझते हैं।
🟧 3. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-उत्तर (Long Answer Questions)
प्र.1. ‘जीत जीत मैं निरखत हूँ’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक नृत्य को किस रूप में देखते हैं।
उत्तर:
लेखक नृत्य को केवल शारीरिक क्रिया या मनोरंजन नहीं मानते, बल्कि इसे वे साधना, समर्पण और आत्मानुभूति की कला के रूप में देखते हैं। नृत्य में भाव, लय, ताल, मुद्रा और दर्शकों से संवाद—इन सबका समन्वय आवश्यक है। वे बताते हैं कि एक नर्तक की सफलता उसके गहरे अवलोकन (निरखने), निरंतर अभ्यास और भावाभिव्यक्ति की सत्यता पर निर्भर करती है। उनके अनुसार, नृत्य में पूर्णता कभी प्राप्त नहीं होती; हर प्रस्तुति सीखने और सुधारने का अवसर होती है। यही वजह है कि वे कहते हैं—“जीत जीत मैं निरखत हूँ”, अर्थात हर उपलब्धि आत्मचिंतन और नयी सीख देती है। इस प्रकार, लेखक नृत्य को जीवन की साधना मानते हैं।
प्र.2. पाठ के अनुसार निरंतर अभ्यास और अवलोकन किसी कलाकार के लिए क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर:
नृत्य जैसे किसी भी कला-क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए अभ्यास और अवलोकन अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। अभ्यास से नर्तक के अंगों की गति स्वाभाविक हो जाती है, लय और ताल पर पकड़ मजबूत होती है, और प्रस्तुति में सहजता आती है। वहीं, अवलोकन (निरखना) कलाकार को अपनी कमजोरियों को पहचानने और सुधारने में मदद करता है। लेखक बताते हैं कि वे हर बार मंच पर उतरते समय अपनी प्रस्तुति का सूक्ष्म विश्लेषण करते हैं। इससे उनकी कला और निखरती है। अतः निरंतर अभ्यास और अवलोकन कलाकार की प्रगति और सफलता के मुख्य आधार हैं।
प्र.3. पाठ से यह स्पष्ट कीजिए कि कला में सीखने की प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होती।
उत्तर:
लेखक बताते हैं कि कला, विशेषकर नृत्य, अनंत है। इसकी कोई सीमा नहीं होती। चाहे कलाकार कितना भी अनुभवी क्यों न हो, उसे हर बार कुछ नया सीखने को मिलता है। वे बताते हैं कि हर प्रस्तुति उनके लिए एक नई जीत होती है, और हर जीत उन्हें कुछ नया सिखाती है। कला में नए भाव, नई लय, नए अनुभव और नई अभिव्यक्तियाँ निरंतर आती रहती हैं। यही कारण है कि कला में पूर्णता कभी प्राप्त नहीं होती और सीखने की प्रक्रिया जीवनभर चलती रहती है।
नीचे “जीत जीत मैं निरखत हूँ” – बिरजू महाराज (Class 10 Hindi) के
✔️ MCQ (Objective Questions)
✔️ एक शब्द / परिभाषा वाले प्रश्न
✔️ अति लघु / लघु प्रश्न-उत्तर
पूरी तरह परीक्षा-उपयोगी और सरल भाषा में दिए जा रहे हैं।
🟧 1. MCQ (बहुविकल्पीय प्रश्न)
(सही विकल्प चुनिए)
1. “जीत जीत मैं निरखत हूँ” के लेखक कौन हैं?
a) अमरकांत
b) रामविलास शर्मा
c) बिरजू महाराज
d) गुणाकर मुले
✔️ उत्तर: c) बिरजू महाराज
2. लेखक किस कला के महान कलाकार थे?
a) गायन
b) कथक नृत्य
c) चित्रकला
d) अभिनय
✔️ उत्तर: b) कथक नृत्य
3. “निरखना” शब्द का अर्थ है—
a) भूल जाना
b) तेज़ी से देखना
c) गहराई से ध्यानपूर्वक देखना
d) सुनना
✔️ उत्तर: c) गहराई से ध्यानपूर्वक देखना
4. लेखक नृत्य को किस रूप में देखते हैं?
a) खेल
b) साधना
c) मनोरंजन
d) व्यायाम
✔️ उत्तर: b) साधना
5. लेखक के अनुसार कला में—
a) हमेशा पूर्णता मिल जाती है
b) कोई संघर्ष नहीं होता
c) सीखने की प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होती
d) अभ्यास की आवश्यकता नहीं
✔️ उत्तर: c) सीखने की प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होती
6. नृत्य में क्या आवश्यक है?
a) केवल ताल
b) केवल गति
c) भाव और लय दोनों
d) केवल मंच
✔️ उत्तर: c) भाव और लय दोनों
7. ‘जीत जीत मैं निरखत हूँ’ पंक्ति का भाव है—
a) असफलता
b) निराशा
c) हर सफलता से सीख
d) मनोरंजन
✔️ उत्तर: c) हर सफलता से सीख
8. लेखक का अवलोकन किस पर केंद्रित होता है?
a) वेशभूषा
b) चेहरे की पहचान
c) प्रस्तुति की बारीकियों पर
d) दर्शक कौन हैं
✔️ उत्तर: c) प्रस्तुति की बारीकियों पर
🟧 2. एक शब्द / परिभाषा वाले प्रश्न
1. नृत्य को लेखक किस रूप में देखते हैं?
✔️ उत्तर: साधना
2. निरखना का अर्थ।
✔️ उत्तर: गहराई से और ध्यानपूर्वक देखना
3. ‘कला’ किसे कहते हैं?
✔️ उत्तर: भाव, लय और अभिव्यक्ति का सम्मिलित रूप
4. लेखक की मुख्य कला।
✔️ उत्तर: कथक नृत्य
5. भाव का अर्थ।
✔️ उत्तर: मन की अनुभूति या अभिव्यक्ति
6. ‘लय’ का सरल अर्थ।
✔️ उत्तर: गति का संतुलित प्रवाह
7. प्रस्तुति का अर्थ
✔️ उत्तर: किसी कला का मंचन या दिखाना
🟧 3. प्रश्न-उत्तर (अति लघु + लघु)
प्र.1. लेखक नृत्य करते समय क्या देखते हैं?
उत्तर: लेखक भाव, ताल, लय, मुद्रा, और अपनी प्रस्तुति की सूक्ष्म बारीकियों को ध्यान से देखते हैं।
प्र.2. लेखक ने जीत को सीखने से क्यों जोड़ा है?
उत्तर: क्योंकि हर जीत उन्हें अपनी कला और प्रस्तुति की कमियों-गुणों को और गहराई से समझने का अवसर देती है।
प्र.3. नृत्य में भाव का क्या महत्व है?
उत्तर: भाव नृत्य को जीवंत बनाता है और दर्शकों तक संदेश पहुँचाता है। बिना भाव के नृत्य केवल शारीरिक क्रिया रह जाता है।
प्र.4. लेखक कला में पूर्णता क्यों नहीं मानते?
उत्तर: क्योंकि कला असीम है और इसमें हर दिन नया सीखने को मिलता है। कला में कोई अंतिम बिंदु नहीं होता।
प्र.5. नृत्य साधना क्यों है?
उत्तर: क्योंकि इसमें निरंतर अभ्यास, धैर्य, अनुशासन और गहरी समझ की आवश्यकता होती है।
प्र.6. लेखक निरखने पर इतना ज़ोर क्यों देते हैं?
उत्तर: क्योंकि निरखने से कलाकार अपनी प्रस्तुति की कमजोरियों और खूबियों को समझकर आगे सुधार कर सकता है।
प्र.7. पाठ का प्रमुख संदेश क्या है?
उत्तर: कि कला में सीखने का अंत नहीं है; हर सफलता (जीत) से कुछ नया सीखकर आगे बढ़ना चाहिए।
50 Important Objective Questions (MCQ + One-liner)
(हर प्रश्न का सही उत्तर नीचे दिया गया है)
🔶 1–25: MCQ Questions
1. “जीत जीत मैं निरखत हूँ” के लेखक हैं—
a) अमरकांत
b) बिरजू महाराज
c) रामविलास शर्मा
d) गुणाकर मुले
✔️ उत्तर: b
2. बिरजू महाराज किस कला के प्रसिद्ध कलाकार थे?
a) भरतनाट्यम
b) कथक
c) ओडिसी
d) चित्रकला
✔️ उत्तर: b
3. “निरखना” का अर्थ है—
a) तेज़ी से देखना
b) गहराई से देखना
c) सुनना
d) भूल जाना
✔️ उत्तर: b
4. लेखक नृत्य को किस रूप में देखते हैं?
a) खेल
b) साधना
c) यात्रा
d) अभिनय
✔️ उत्तर: b
5. नृत्य में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है—
a) वेशभूषा
b) भाव और लय
c) प्रकाश
d) दर्शक
✔️ उत्तर: b
6. कला में पूर्णता क्यों नहीं होती?
a) क्योंकि सीख खत्म हो जाती है
b) क्योंकि कला असीम है
c) क्योंकि कलाकार कमज़ोर होता है
d) क्योंकि अभ्यास नहीं चाहिए
✔️ उत्तर: b
7. लेखक हर जीत को—
a) रुकने का कारण
b) मनोरंजन
c) सीख
d) हार
✔️ उत्तर: c
8. नृत्य में ‘भाव’ का अर्थ है—
a) रंग
b) भावना
c) ताल
d) गति
✔️ उत्तर: b
9. लेखक किस बात पर अधिक ध्यान देते हैं?
a) मंच सजावट
b) दर्शकों की संख्या
c) प्रस्तुति की बारीकियाँ
d) अभिनय
✔️ उत्तर: c
10. ‘लय’ का अर्थ है—
a) दिशा
b) सिंक/तालमेल
c) रंग
d) चाल
✔️ उत्तर: b
11. नृत्य में ‘मुद्राएँ’ संबंधित होती हैं—
a) हाथ-पैर की स्थिति से
b) कपड़ों से
c) मंच से
d) ताल से
✔️ उत्तर: a
12. कथक नृत्य की एक प्रमुख विशेषता है—
a) काव्य प्रस्तुति
b) घूमर (चक्कर)
c) मूर्ति निर्माण
d) अभिनय
✔️ उत्तर: b
13. लेखक नृत्य में क्या खोजते हैं?
a) नई प्रतिभा
b) नई बारीकियाँ
c) नए कपड़े
d) नई तालियाँ
✔️ उत्तर: b
14. “अवलोकन” का अर्थ—
a) देखना
b) नज़रअंदाज़ करना
c) दौड़ना
d) तलाशना
✔️ उत्तर: a
15. कलाकार के लिए सबसे जरूरी है—
a) प्रसिद्धि
b) अभ्यास
c) धन
d) वेशभूषा
✔️ उत्तर: b
16. लेखक नृत्य करते समय किस पर नहीं ध्यान देते?
a) भाव
b) लय
c) दर्शकों की प्रतिक्रिया
d) मंच का रंग
✔️ उत्तर: d
17. कथक किस प्रकार का नृत्य है?
a) लोकनृत्य
b) शास्त्रीय नृत्य
c) पश्चिमी नृत्य
d) आधुनिक नृत्य
✔️ उत्तर: b
18. लेखक हमेशा क्या तलाशते हैं?
a) तालियाँ
b) नई कमियाँ और सुधार
c) मंच
d) वेशभूषा
✔️ उत्तर: b
19. नर्तक की सफलता निर्भर करती है—
a) धन पर
b) अभ्यास पर
c) रंग पर
d) सहायक कलाकारों पर
✔️ उत्तर: b
20. नृत्य के दौरान सबसे अधिक तालमेल किसका होता है?
a) दर्शक और मंच
b) भाव और लय
c) कपड़े और प्रकाश
d) ताल और पोशाक
✔️ उत्तर: b
21. ‘जीत जीत मैं निरखत हूँ’ पंक्ति का भाव है—
a) अहंकार
b) निरीक्षण
c) सीख
d) निराशा
✔️ उत्तर: c
22. लेखक ने नृत्य को किससे जोड़ा है?
a) जीवन अनुशासन
b) खेल
c) हँसी
d) संगीत वाद्य
✔️ उत्तर: a
23. नृत्य में “ताल” का क्या अर्थ है?
a) गति
b) संगीत की मात्राएँ
c) कपड़े
d) भाव
✔️ उत्तर: b
24. कलाकार अपनी प्रस्तुति कैसे निखारता है?
a) तालियाँ देखकर
b) अभिमान से
c) निरंतर अभ्यास से
d) नाम बदलकर
✔️ उत्तर: c
25. नृत्य को समझने का सही तरीका है—
a) केवल देखने से
b) केवल सुनने से
c) गहराई से निरखने से
d) आलोचना से
✔️ उत्तर: c
🔶 26–50: One-liner Objective Questions
26. ‘भाव’ का अर्थ—
✔️ उत्तर: मन की अनुभूति
27. ‘लय’ का अर्थ—
✔️ उत्तर: गति का तालमेल
28. ‘नृत्य’ किसका मिश्रण है?
✔️ उत्तर: भाव, लय, ताल और मुद्रा
29. ‘निरखना’ का सरल अर्थ—
✔️ उत्तर: ध्यान से देखना
30. लेखक की कला—
✔️ उत्तर: कथक
31. नृत्य में सुधार का आधार—
✔️ उत्तर: अभ्यास
32. कला का स्वरूप—
✔️ उत्तर: असीम
33. पाठ का मुख्य संदेश—
✔️ उत्तर: हर जीत नई सीख देती है
34. कलाकार को सबसे पहले किसे सुधारना होता है?
✔️ उत्तर: स्वयं को
35. नृत्य में शारीरिक गति का सहारा—
✔️ उत्तर: ताल
36. कलाकार को किसे स्वीकारना चाहिए?
✔️ उत्तर: अपनी कमियाँ
37. नृत्य की सुंदरता बढ़ती है—
✔️ उत्तर: भाव और लय से
38. कला सीखने की प्रक्रिया—
✔️ उत्तर: अनंत
39. अभ्यास का अर्थ—
✔️ उत्तर: बार-बार करना
40. कलाकार का विकास निर्भर करता है—
✔️ उत्तर: निरंतर मेहनत पर
41. कथक की एक प्रमुख पहचान—
✔️ उत्तर: चक्करों का प्रयोग
42. नृत्य करते समय सबसे महत्वपूर्ण—
✔️ उत्तर: ताल-लय का संतुलन
43. कलाकार को “निरखना” कब चाहिए?
✔️ उत्तर: हर प्रस्तुति के बाद
44. लेखक किसकी गहराई खोजते हैं?
✔️ उत्तर: नृत्य की बारीकियाँ
45. कला में आगे बढ़ने का उपाय—
✔️ उत्तर: अभ्यास + अवलोकन
46. कलाकार के लिए सबसे बड़ा गुरु—
✔️ उत्तर: अनुभव
47. लेखक के अनुसार नृत्य—
✔️ उत्तर: साधना है
48. कला कब निखरती है?
✔️ उत्तर: निरंतर प्रयास से
49. कलाकार को क्या नहीं करना चाहिए?
✔️ उत्तर: अहंकार
50. ‘जीत जीत मैं निरखत हूँ’ का सार—
✔️ उत्तर: हर सफलता से सीखकर आगे बढ़ना
निष्कर्ष:-
“जीत जीत मैं निरखत हूँ” पाठ हमें यह सिखाता है कि सच्ची कला केवल तकनीक से नहीं, बल्कि निरंतर अभ्यास, गहन अवलोकन और समर्पण से निखरती है। बिरजू महाराज जैसे महान कलाकार हमें यह संदेश देते हैं कि जीत का अर्थ रुक जाना नहीं, बल्कि आगे बढ़कर स्वयं को और बेहतर बनाना है। हर प्रस्तुति, हर प्रयास और हर छोटी सफलता में सीख छिपी होती है—बस उसे पहचानने की दृष्टि चाहिए।
कला का मार्ग लंबा है, लेकिन इसी यात्रा में एक कलाकार अपनी वास्तविक पहचान पाता है। इसलिए हमें भी अपने क्षेत्र में—चाहे वह पढ़ाई हो, खेल हो या कोई अन्य कौशल—अभ्यास और आत्मचिंतन को जारी रखना चाहिए। यही सतत प्रयास हमें उत्कृष्टता की ओर ले जाता है।
इस प्रकार, यह पाठ न केवल नृत्य-कला की सुंदरताओं को उजागर करता है, बल्कि जीवन में निरंतर प्रगति, सीख और विनम्रता का संदेश भी देता है।

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