जल संसाधन -10th Class social scince full story
🌊 जल संसाधन – पूर्ण अध्याय (Full Story / Summary in Hindi)
(कक्षा 10 – सामाजिक विज्ञान, भूगोल)
भारत विविध जल संसाधनों वाला देश है, फिर भी यहाँ जल की कमी की समस्या गंभीर रूप से देखी जाती है। इसका मुख्य कारण है– वर्षा का असमान वितरण, जनसंख्या का दबाव, जल का अत्यधिक दोहन, और प्रदूषण। इस अध्याय में जल के महत्व, भारत में जल संसाधन की स्थिति, जल संरक्षण, जल संचयन, और बहुउद्देशीय परियोजनाओं का विवरण दिया गया है।
🌧️ भारत में जल की उपलब्धता और उपयोग
भारत वर्षा आधारित देश है।
- लगभग 96% वर्षा मानसून के 100–120 दिनों में होती है।
- वर्षा का वितरण असमान है—कहीं अधिक, कहीं बहुत कम।
- हिमालयी नदियाँ (गंगा, ब्रह्मपुत्र) और प्रायद्वीपीय नदियाँ (गोदावरी, कृष्णा, कावेरी) जल का प्रमुख स्रोत हैं।
भारत में जल का मुख्य उपयोग —
✔ कृषि
✔ उद्योग
✔ घरेलू उपयोग
✔ बिजली उत्पादन
✔ परिवहन
💧 भारत में जल संकट (Water Scarcity)
देश में तेजी से बढ़ती जनसंख्या ने जल की माँग बढ़ा दी है।
- कृषि में अत्यधिक भूजल दोहन
- उद्योगों द्वारा जल प्रदूषण
- जल की बर्बादी
- नदी–तालाबों का सिकुड़ना
- वर्षा का अनियमित वितरण
इन सबके कारण कई क्षेत्रों में जल संकट है।
कुछ स्थान जैसे– राजस्थान, गुजरात, मराठवाड़ा, बुंदेलखंड बहुत प्रभावित हैं।
🌱 बहुउद्देशीय परियोजनाएँ (Multipurpose River Valley Projects)
स्वतंत्रता के बाद बड़े बाँध महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं के रूप में बनाए गए। इन्हें "नए मंदिर" कहा गया।
- इनके उद्देश्य:
- सिंचाई
- बाढ़ नियंत्रण
- जल विद्युत उत्पादन
- पेयजल आपूर्ति
- भूमि सुधार
- मत्स्य पालन
उदाहरण:
- भाखड़ा–नांगल
- हीराकुंड
- कोयना
- दामोदर घाटी निगम
🏞️ बड़े बाँधों की आलोचना
- बड़े बांधों से लाभ तो हुए, लेकिन कुछ गंभीर समस्याएँ भी सामने आईं—
- लोगों का बड़े पैमाने पर विस्थापन
- पर्यावरणीय क्षति
- नदियों के प्राकृतिक प्रवाह में बदलाव
- स्थानीय लोगों की संस्कृति पर प्रभाव
इसलिए आज के समय में अधिक टिकाऊ और स्थानीय जल समाधान की ओर ध्यान दिया जा रहा है।
🌿 जल संरक्षण और संचयन (Water Conservation & Rainwater Harvesting)
भारत के कई भागों में पारंपरिक जल संरक्षण प्रणालियाँ थीं।
- पारंपरिक तरीके:
- राजस्थान – खादीन, टांका, जोहर
- महाराष्ट्र – पाट
- कर्नाटक – काट्टे
- तमिल Nadu – एरिस
- मेघालय – बांस पाइप सिंचाई
वर्षा जल संचयन का महत्व:
- भूजल स्तर बढ़ाता है
- सूखे से बचाता है
- स्वच्छ पानी की उपलब्धता बढ़ाता है
- ऊर्जा की बचत करता है
शहरी क्षेत्रों में छत से वर्षा जल संग्रहण बहुत प्रभावी तरीका है।
🏞️ नदी प्रदूषण और संरक्षण
भारत की नदियाँ प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रही हैं—
- औद्योगिक कचरा
- रासायनिक अपशिष्ट
- घरेलू सीवेज
- धार्मिक कचरा
गंगा एक्शन प्लान जैसी योजनाएँ नदी संरक्षण के लिए चलाई गई हैं।
📚 अध्याय का सार (In Short)
- जल संसाधन जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
- भारत में पानी की कमी मानव निर्मित कारणों और असमान वर्षा के कारण बढ़ रही है।
- बहुउद्देशीय परियोजनाओं ने विकास को मदद दी लेकिन पर्यावरणीय नुकसान भी हुआ।
- पारंपरिक जल विधियाँ आज भी प्रभावी हैं।
- वर्षा जल संचयन जल संकट का सबसे अच्छा समाधान है।
- जल प्रदूषण रोकना हर नागरिक का कर्तव्य है।
- जनसंख्या का दबाव
- भूजल का अत्यधिक दोहन
- उद्योगों द्वारा प्रदूषण
- नदी-तालाबों का सिकुड़ना
- कृषि में जल की अधिक खपत
- भूजल स्तर बढ़ता है
- सूखे से बचाव
- जल की शुद्धता बनी रहती है
- ऊर्जा की बचत
- शहरी क्षेत्रों में जल की उपलब्धता बढ़ती है
- वर्षा का वितरण असमान है।
- कई क्षेत्रों में सूखे की स्थिति रहती है।
- जनसंख्या बढ़ने से जल का उपयोग बढ़ता जा रहा है।
- नदी जल प्रदूषित हो रहा है।
- भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है।
- वर्षा जल संचयन
- पारंपरिक जल विधियों का पुनर्जीवन
- नदियों और तालाबों का संरक्षण
- जल का उचित वितरण
- उद्योगों के अपशिष्ट का उपचार
- कृषि में ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर आदि का उपयोग
- सिंचाई के क्षेत्र में वृद्धि
- जल विद्युत उत्पादन
- बाढ़ नियंत्रण
- पेयजल की आपूर्ति
- मत्स्य पालन, पर्यटन विकास
- बड़ी संख्या में लोगों का विस्थापन
- पर्यावरणीय क्षति
- जलभराव और लवणीयता
- नदियों के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा
- स्थानिय लोकसंस्कृति पर प्रभाव
- उद्योगों का रासायनिक कचरा
- घरेलू सीवेज
- कृषि में रासायनिक खाद व कीटनाशकों का बहाव
- धार्मिक कचरा, प्लास्टिक
- शव विसर्जन
- मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव
- जल में ऑक्सीजन की कमी
- जलीय जीवों की मृत्यु
- जल जनित रोग (डायरिया, कॉलरा)
- भूजल भी प्रदूषित होता है
- पर्यावरण के अनुकूल
- कम खर्च
- स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार
- भूजल स्तर बढ़ाने में सहायक
- समुदाय आधारित कार्य
प्र.7 राजस्थान में वर्षा जल संग्रहण का प्रमुख तरीका कौन-सा है?
A. टांका
- लोगों का विस्थापन
- पर्यावरणीय क्षति
- नदियों के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा
- जलभराव और लवणीयता
- नदियाँ
- वर्षा
- हिमनद
- भूजल
- झीलें और जलाशय
नीचे जल संसाधन (कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान – भूगोल) अध्याय के 50 Objective Important Questions दिए गए हैं। ये परीक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
✅ जल संसाधन – 50 Objective Important Questions (MCQ / One-Liner)
1. भारत में जल का सर्वाधिक उपयोग किस क्षेत्र में होता है?
→ कृषि
2. भाखड़ा–नांगल परियोजना किस नदी पर बनी है?
→ सतलुज
3. वर्षा का अधिकांश भाग भारत में किस ऋतु में होता है?
→ मानसून
4. ‘एरिस’ प्रणाली किस राज्य में पाई जाती है?
→ तमिलनाडु
5. गंगा नदी की सफाई के लिए कौन-सी योजना शुरू हुई?
→ गंगा एक्शन प्लान
6. ‘खादीन’ किस राज्य की जल संरक्षण पद्धति है?
→ राजस्थान
7. टांका किस उद्देश्य के लिए उपयोग होता है?
→ पेयजल संग्रहण
8. भारत में जल स्रोत का प्रमुख प्रकार कौन-सा है?
→ वर्षा
9. नदी प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?
→ औद्योगिक अपशिष्ट
10. जल का अत्यधिक दोहन किसे प्रभावित करता है?
→ भूजल स्तर
11. हीराकुंड बाँध किस नदी पर बना है?
→ महानदी
12. दामोदर घाटी निगम परियोजना किस लिए प्रसिद्ध है?
→ बहुउद्देशीय परियोजना
13. किसे ‘नए भारत के मंदिर’ कहा गया?
→ बड़े बाँधों को
14. बहुउद्देशीय परियोजनाओं का एक प्रमुख उद्देश्य?
→ जल विद्युत उत्पादन
15. नदी जल स्तर कम होने का प्रमुख कारण?
→ अधिक दोहन
16. भूजल पुनर्भरण के लिए श्रेष्ठ तरीका?
→ वर्षा जल संचयन
17. कावेरी नदी किस दिशा में बहती है?
→ दक्षिण भारत
18. जलभराव किसके कारण होता है?
→ अत्यधिक सिंचाई
19. वर्षा जल संचयन किसे कहा जाता है?
→ वर्षा से प्राप्त जल का संग्रहण
20. भारत में जल संकट का प्रमुख कारण?
→ जनसंख्या वृद्धि
21. नर्मदा नदी पर कौन-सा बाँध है?
→ सरदार सरोवर बाँध
22. ड्रिप सिंचाई किस फसल में सर्वाधिक उपयोगी है?
→ फलों व सब्जियों में
23. जोहड़ किस राज्य की जल संरक्षण तकनीक है?
→ राजस्थान
24. भारत में अधिकतम वर्षा कहाँ होती है?
→ मेघालय
25. ट्यूबवेल किसका उदाहरण है?
→ भूजल उपयोग
26. जल प्रदूषण रोकने का सर्वोत्तम तरीका?
→ अपशिष्ट जल का उपचार
27. जल संसाधन का सर्वोत्तम संरक्षण कौन कर सकता है?
→ समुदाय आधारित प्रबंधन
28. सूखे की समस्या कहाँ सबसे अधिक है?
→ राजस्थान, मराठवाड़ा, बुंदेलखंड
29. कावेरी विवाद किस राज्यों के बीच है?
→ कर्नाटक और तमिलनाडु
30. जलविद्युत उत्पादन किसके द्वारा होता है?
→ बहते/रुके जल से
31. बाँध बनाने से क्या हानि होती है?
→ लोगों का विस्थापन
32. नदी घाटी परियोजनाएँ किसके लिए होती हैं?
→ बाढ़ नियंत्रण
33. 'बाँध' का अंग्रेजी शब्द?
→ Dam
34. भारत में जल का दूसरा सबसे बड़ा उपयोग?
→ उद्योग
35. जल संकट का प्राकृतिक कारण?
→ वर्षा का असमान वितरण
36. कर्नाटक में पारंपरिक जल संरक्षण प्रणाली?
→ काट्टे
37. भारत में कुल भौगोलिक क्षेत्रफल की तुलना में जल संसाधन?
→ कम
38. बाढ़ का मुख्य कारण?
→ अत्यधिक वर्षा
39. कावेरी नदी पर कौन-सा बाँध बना है?
→ कृष्णराज सागर बाँध
40. सिंचाई का आधुनिक तरीका?
→ स्प्रिंकलर/ड्रिप
41. गंगा नदी कहाँ से निकलती है?
→ गंगोत्री हिमनद
42. जल प्रदूषण का सामाजिक प्रभाव?
→ बीमारियाँ फैलना
43. जल का स्रोत जो भूमिगत होता है?
→ भूजल
44. तालाब और झीलें किस श्रेणी में आती हैं?
→ सतही जल
45. नदी जल बहाव को रोकने हेतु क्या बनाया जाता है?
→ बाँध
46. किसे जलग्रहण क्षेत्र कहते हैं?
→ नदी के बहाव क्षेत्र को
47. महाबलेश्वर किस नदी का उद्गम स्थल है?
→ कृष्णा नदी
48. विश्व का सबसे ऊँचा बाँध?
→ तीज़ बाँध (चीन)
49. नदी में शव विसर्जन किस समस्या को बढ़ाता है?
→ प्रदूषण
50. जल संरक्षण क्यों आवश्यक है?
→ भविष्य के लिए जल उपलब्ध कराने हेतु
⭐ जल संसाधन – आउट्रो (Outro / Conclusion in Hindi)
अंत में यह समझना अत्यंत आवश्यक है कि जल केवल एक प्राकृतिक संसाधन ही नहीं, बल्कि जीवन का आधार है। बिना जल के किसी समाज, अर्थव्यवस्था, कृषि, उद्योग या मानव जीवन की कल्पना तक संभव नहीं है। भारत जैसे विशाल देश में, जहाँ वर्षा का वितरण असमान है, जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और उद्योगों का विस्तार निरंतर हो रहा है, वहां जल के प्रति सजगता और संरक्षण का भाव और भी अधिक आवश्यक हो जाता है।
इस अध्याय में हमने जाना कि भारत में जल उपलब्ध तो है, लेकिन इसका भौगोलिक और मौसमी वितरण संतुलित नहीं है। कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होती है, जबकि कई हिस्से वर्षा के अभाव में सूखे का सामना करते हैं। यही कारण है कि जल संसाधनों का सुव्यवस्थित प्रबंधन, संरक्षण और वैज्ञानिक उपयोग समय की मांग बन गया है।
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं ने न केवल सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण में देश को मजबूती दी है, बल्कि पर्यावरणीय चुनौतियों और मानव विस्थापन जैसी गंभीर समस्याएँ भी सामने रखी हैं। इससे स्पष्ट होता है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए बिना स्थायी प्रगति संभव नहीं है।
भारत की पारंपरिक जल संरक्षण प्रणालियाँ—जैसे राजस्थान के टांके और जोहड़, तमिलनाडु का एरिस सिस्टम, और मेघालय की बांस पाइप प्रणाली—हमें बताते हैं कि जल प्रबंधन कोई नई चीज नहीं है। हमारे पूर्वज सदियों पहले ही जल संरक्षण की महत्व को समझते थे और स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार सरल, पर्यावरण अनुकूल व प्रभावी तकनीकें विकसित कर चुके थे। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम इन पारंपरिक तकनीकों को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़कर अधिक उपयोगी बनाएं।
नदियों का बढ़ता प्रदूषण हमारे समाज और स्वास्थ्य के लिए खतरा है। उद्योगों, घरों और धार्मिक गतिविधियों से होने वाला अपशिष्ट नदियों के जीवन को समाप्त कर रहा है। ‘गंगा एक्शन प्लान’ जैसी योजनाएँ तभी सफल होंगी जब समाज, सरकार और व्यक्ति एकजुट होकर स्वच्छता और जल संरक्षण को एक आदत बनाएँगे।
भूजल स्तर का लगातार गिरना भी चिंता का विषय है। ट्यूबवेल और बोरवेल के अत्यधिक उपयोग ने कई राज्यों में संकट को बढ़ा दिया है। ऐसे में वर्षा जल संचयन सबसे सरल, सस्ता और प्रभावी उपाय है, जिसे हर घर, विद्यालय, इमारत और समुदाय अपनाकर जल की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
अंततः, जल संरक्षण केवल सरकार या वैज्ञानिकों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का नैतिक कर्तव्य है। हमें जल के महत्व को समझते हुए इसका उपयोग सावधानी से करना होगा, बर्बादी रोकनी होगी और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इस अनमोल संसाधन को सुरक्षित रखना होगा।
जल है तो कल है — यह वाक्य केवल नारा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि यदि आज हम जल की रक्षा करेंगे, तभी हमारा भविष्य सुरक्षित और समृद्ध होगा। इसलिए आइए, मिलकर जल बचाएँ, जल का सम्मान करें और एक जल-सुरक्षित भारत बनाने की दिशा में सजग कदम उठाएँ।
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