परंपरा का मूल्यांकन - 10th Class Hindi Objective Question Answer

 

परंपरा का मूल्यांकन - 10th Class Hindi Objective Question Answer

⭐ परंपरा का मूल्यांकन — पूरा सारांश (Full Story / Full Summary)

लेखक – रामविलास शर्मा

“परंपरा का मूल्यांकन” एक विचारात्मक निबंध है जिसमें लेखक पुरानी परंपराओं का समय और समाज के अनुसार मूल्यांकन करने की आवश्यकता बताता है। लेखक यह समझाते हैं कि हर परंपरा को अंधविश्वास की तरह मानना उचित नहीं है, बल्कि उसे तर्क, उपयोगिता और समाज के हित में परखना चाहिए।

📌 मुख्य विचार

1. परंपरा क्या है?

परंपरा वे नियम, मान्यताएँ, आचरण और रीति-रिवाज़ हैं जो समाज में लंबे समय से चले आ रहे हैं। इनमें कुछ अच्छे होते हैं और कुछ समाज को पीछे ले जाने वाले।

2. अच्छी और बुरी परंपराओं में फर्क ज़रूरी

लेखक का मानना है कि

अच्छी परंपराएँ समाज को आगे बढ़ाती हैं — जैसे सहयोग, परिवार-भाव, संस्कार, अनुशासन।

बुरी परंपराएँ समाज को बांधती हैं — जैसे जाति-भेद, छुआछूत, अंधविश्वास, स्त्री-भेदभाव।

इसलिए परंपरा को पूरी तरह नकारना भी ठीक नहीं, और अंधाधुंध स्वीकार करना भी ठीक नहीं।

3. परंपरा का नए समय के अनुसार मूल्यांकन

लेखक कहते हैं कि समाज बदल रहा है, इसलिए परंपराएँ भी बदलनी चाहिए।

कोई भी परंपरा उपयोगी तभी है जब वह —

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सही हो

समाज की उन्नति में सहायक हो

मानवता और समानता की भावना को बढ़ाए

जो परंपराएँ असमानता फैलाती हैं, उन्हें छोड़ देना चाहिए।

4. पश्चिमी परंपराएँ और भारतीय परंपराएँ

लेखक बताते हैं कि हमें पश्चिम की अच्छी बातों को अपनाना चाहिए, लेकिन अपनी संस्कृति की अच्छी परंपराओं को भी बनाए रखना चाहिए। अंधानुकरण से बचना चाहिए — न तो अपनी परंपरा को गलत ठहराएँ और न ही पश्चिमी परंपरा को श्रेष्ठ समझें।

5. शिक्षा और वैज्ञानिक सोच की भूमिका

नई परंपरा बनाने की नींव है वैज्ञानिक सोच।

शिक्षा हमें सिखाती है कि हम—

असत्य परंपराएँ छोड़ें

तर्कसंगत परंपराओं को अपनाएँ

समाज में समानता व न्याय स्थापित करें

6. परंपराओं का समाज पर प्रभाव

परंपराएँ व्यक्ति और समाज दोनों पर गहरा प्रभाव डालती हैं।

अच्छी परंपराओं से समाज मजबूत होता है, जबकि बुरी परंपराएँ समाज को पीछे ढकेल देती हैं। इसलिए परंपरा के नाम पर किसी भी कुरीति को स्वीकार करना उचित नहीं है।

⭐ संक्षेप में सार

रामविलास शर्मा बताते हैं कि परंपराएँ समाज का आधार हैं, लेकिन उन्हें बिना सोचे-समझे मानना ठीक नहीं। हमें समय, तर्क, और समाजहित के आधार पर उन्हें परखकर अपनाना या त्यागना चाहिए। नई और पुरानी दोनों परंपराओं में से उपयोगी परंपराएँ चुनकर ही स्वस्थ और प्रगतिशील समाज बनाया जा सकता है।

नीचे “परंपरा का मूल्यांकन” – लेखक: रामविलास शर्मा – कक्षा 10 हिंदी के

✔ सारांश

✔ लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर

✔ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-उत्तर

परीक्षा के अनुसार सरल और सटीक दिए जा रहे हैं।

⭐ 1. सारांश (Summary)

परंपरा का मूल्यांकन” में लेखक रामविलास शर्मा बताते हैं कि समाज में चली आ रही परंपराएँ हमेशा अच्छी या बुरी नहीं होतीं। कुछ परंपराएँ समाज को जोड़कर रखती हैं और मनुष्य में नैतिकता, अनुशासन और संस्कृति का विकास करती हैं, जबकि कुछ परंपराएँ समाज को पिछड़ा और संकीर्ण बनाती हैं जैसे — जाति-भेद, ऊँच-नीच, छुआछूत, स्त्री-भेदभाव आदि। इसलिए हर परंपरा का तर्क और उपयोगिता के आधार पर मूल्यांकन आवश्यक है।

लेखक कहते हैं कि समय बदलने पर परंपराओं में भी परिवर्तन होना चाहिए। शिक्षा और वैज्ञानिक सोच से हम यह तय कर सकते हैं कि कौन-सी परंपराएँ समाज के हित में हैं और कौन सी हानिकारक। पश्चिमी परंपराओं का अंधानुकरण भी गलत है; हमें भारतीय परंपराओं के अच्छे पक्षों को सँभालते हुए बुराइयों से छुटकारा पाना चाहिए।

अंत में लेखक का संदेश है कि परंपराओं को आँख मूँदकर मानना या पूरी तरह नकारना दोनों ही गलत है। हमें विवेक का प्रयोग कर उपयोगी परंपराओं को अपनाना और हानिकारक परंपराओं का त्याग करना चाहिए।

⭐ 2. लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर (Short Q&A)

प्रश्न 1. परंपरा क्या है?

उत्तर: परंपरा वे मान्यताएँ, नियम, रीति-रिवाज़ और आचरण हैं जो समाज में लंबे समय से प्रचलित हैं।

प्रश्न 2. परंपराओं का मूल्यांकन क्यों आवश्यक है?

उत्तर: क्योंकि कुछ परंपराएँ समाज के लिए लाभकारी होती हैं और कुछ हानिकारक। इनका तर्क व उपयोगिता के आधार पर मूल्यांकन करना आवश्यक है।

प्रश्न 3. बुरी परंपराओं के उदाहरण दें।

उत्तर: जाति-भेद, छुआछूत, स्त्री-भेदभाव, अंधविश्वास, ऊँच-नीच जैसी परंपराएँ बुरी परंपराएँ हैं।

प्रश्न 4. लेखक पश्चिमी परंपराओं के बारे में क्या कहते हैं?

उत्तर: लेखक कहते हैं कि पश्चिम की उपयोगी परंपराओं को अपनाना उचित है, परंतु अंधानुकरण ठीक नहीं।

प्रश्न 5. शिक्षा परंपराओं के मूल्यांकन में कैसे मदद करती है?

उत्तर: शिक्षा तर्क, वैज्ञानिक सोच और विवेक विकसित करती है, जिससे हम अच्छी व बुरी परंपराओं का निर्णय कर सकते हैं।

प्रश्न 6. परंपराएँ व्यक्ति और समाज को कैसे प्रभावित करती हैं?

उत्तर: अच्छी परंपराएँ व्यक्ति को संस्कारी और समाज को उन्नत बनाती हैं, जबकि बुरी परंपराएँ समाज को पिछड़ा बना देती हैं।

⭐ 3. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-उत्तर (Long Q&A)

प्रश्न 1. लेखक के अनुसार परंपराओं को परखने की आवश्यकता क्यों है? विस्तार से लिखिए।

उत्तर:

लेखक बताते हैं कि परंपरा मनुष्य और समाज के जीवन से जुड़ी हुई है। लेकिन सभी परंपराएँ उपयोगी नहीं होतीं। कुछ परंपराएँ समय के साथ अर्थहीन हो जाती हैं और समाज को पिछड़ा बनाती हैं, जैसे जाति-प्रथा, छुआछूत, स्त्री-भेद आदि। यदि हम परंपरा को आँख मूँदकर मानते रहें, तो समाज प्रगति नहीं कर पाएगा।

परंपराओं का मूल्यांकन इसलिए आवश्यक है कि—

समय के अनुसार परिवर्तन हो सके

पुरानी, हानिकारक परंपराओं को त्यागा जा सके

उपयोगी परंपराओं को अपनाया जा सके

वैज्ञानिक और तर्कसंगत दृष्टि का विकास हो

इसलिए लेखक परंपरा के नाम पर किसी भी कुरीति को स्वीकार करने के विरुद्ध हैं। उनका मानना है कि परंपराओं को अपनाने से पहले उनकी सामाजिक उपयोगिता व तर्कसंगतता अवश्य देखनी चाहिए।

प्रश्न 2. “परंपरा का मूल्यांकन” में लेखक भारतीय और पश्चिमी परंपराओं की तुलना कैसे करते हैं?

उत्तर:

लेखक भारतीय और पश्चिमी परंपराओं की तुलना करते हुए बताते हैं कि दोनों में अच्छी और बुरी बातें हैं।

भारतीय परंपराओं में संस्कार, परिवार-व्यवस्था, अनुशासन, सहयोग और आध्यात्मिकता जैसी सकारात्मक चीजें हैं, लेकिन जाति-भेद, छुआछूत और अंधविश्वास जैसी कुरीतियाँ भी हैं।

वहीं पश्चिमी परंपराओं में स्वतंत्रता, वैज्ञानिक सोच, प्रगति और समानता पर जोर है, लेकिन अत्यधिक भौतिकवाद जैसी नकारात्मक बातें भी पाई जाती हैं।

इसलिए लेखक का कहना है कि हमें न तो अपनी परंपराओं को ही श्रेष्ठ मानना चाहिए और न ही पश्चिम का अंधानुकरण करना चाहिए। दोनों की अच्छी बातों को अपनाकर समाज को प्रगतिशील बनाना चाहिए।

प्रश्न 3. शिक्षा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण परंपरा के मूल्यांकन में क्या भूमिका निभाते हैं?

उत्तर:

शिक्षा मनुष्य में ज्ञान, विवेक और तर्कशीलता का विकास करती है। इसी के कारण व्यक्ति सही और गलत परंपराओं में अंतर कर पाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समाज यह समझ पाता है कि किसी परंपरा का पालन क्यों किया जाए और उसका क्या लाभ है।

शिक्षा बुरी परंपराओं को तोड़ती है और अच्छी परंपराओं को मजबूत करती है।

वह—

अंधविश्वास दूर करती है

समानता और न्याय का मार्ग दिखाती है

समाज को आधुनिक और प्रगतिशील बनाती है

इस प्रकार शिक्षा और वैज्ञानिक सोच परंपरा को नए रूप में ढालने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

नीचे “परंपरा का मूल्यांकन” – लेखक: रामविलास शर्मा – कक्षा 10 हिंदी के

✔ MCQ (बहुविकल्पीय प्रश्न)

✔ एक शब्द/परिभाषा वाले प्रश्न

✔ लघु प्रश्न-उत्तर

परीक्षा की तैयारी के अनुसार दिए जा रहे हैं।

⭐ 1. MCQ (बहुविकल्पीय प्रश्न)

1. ‘परंपरा का मूल्यांकन’ किस प्रकार की रचना है?

A. कहानी

B. काव्य

C. निबंध

D. संवाद

➡ उत्तर: C. निबंध

2. लेखक का नाम क्या है?

A. मैक्समूलर

B. रामविलास शर्मा

C. अमरकांत

D. हज़ारीप्रसाद द्विवेदी

➡ उत्तर: B. रामविलास शर्मा

3. लेखक के अनुसार परंपराओं का मूल्यांकन किस आधार पर होना चाहिए?

A. धर्म के आधार पर

B. जाति के आधार पर

C. समय, तर्क और उपयोगिता के आधार पर

D. भाषा के आधार पर

➡ उत्तर: C. समय, तर्क और उपयोगिता के आधार पर

4. कौन-सी बुरी परंपरा है?

A. सहयोग

B. संस्कार

C. छुआछूत

D. अनुशासन

➡ उत्तर: C. छुआछूत

5. शिक्षा परंपराओं में क्या बढ़ाती है?

A. अंधविश्वास

B. वैज्ञानिक दृष्टिकोण

C. मतभेद

D. संघर्ष

➡ उत्तर: B. वैज्ञानिक दृष्टिकोण

6. लेखक पश्चिमी परंपराओं के बारे में क्या कहते हैं?

A. उनसे पूरी तरह बचना चाहिए

B. उन्हें पूरी तरह अपनाना चाहिए

C. उनकी अच्छी बातें अपनानी चाहिए

D. वे पूरी तरह श्रेष्ठ हैं

➡ उत्तर: C. उनकी अच्छी बातें अपनानी चाहिए

7. भारतीय परंपराओं की एक अच्छी विशेषता कौन-सी है?

A. भेदभाव

B. सहयोग और संस्कार

C. अंधविश्वास

D. ऊँच-नीच

➡ उत्तर: B. सहयोग और संस्कार

8. परंपराओं को आँख मूँदकर मानना कैसा है?

A. अच्छा

B. बुरा

C. अनुचित

D. उचित

➡ उत्तर: C. अनुचित

9. समाज को प्रगतिशील बनाने के लिए क्या आवश्यक है?

A. सभी परंपराएँ स्वीकार करना

B. बुरी परंपराओं को अपनाना

C. उपयोगी परंपराओं को अपनाना

D. पश्चिमी जीवनशैली अपनाना

➡ उत्तर: C. उपयोगी परंपराओं को अपनाना

10. बुरी परंपराओं का प्रभाव क्या होता है?

A. समाज आगे बढ़ता है

B. समाज पीछे रह जाता है

C. शिक्षा बढ़ती है

D. समानता बढ़ती है

➡ उत्तर: B. समाज पीछे रह जाता है

⭐ 2. एक शब्द / परिभाषा वाले प्रश्न

1. परंपरा

➡ लंबे समय से चली आ रही मान्यता या रीति-रिवाज़।

2. कुरीति

➡ समाज में फैली बुरी या हानिकारक परंपरा।

3. वैज्ञानिक दृष्टिकोण

➡ तर्क, प्रमाण और तथ्य पर आधारित सोच।

4. अंधानुकरण

➡ बिना सोचे-समझे किसी का अनुसरण करना।

5. मूल्यांकन

➡ किसी चीज़ के अच्छे-बुरे पक्षों को परखना।

6. अनुशासन

➡ नियमों का पालन।

7. समानता

➡ सबके साथ एक समान व्यवहार।

8. भेदभाव

➡ जाति, लिंग आदि के आधार पर अलग व्यवहार करना।

⭐ 3. लघु प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1. लेखक परंपरा के बारे में क्या कहते हैं?

उत्तर: लेखक कहते हैं कि परंपराएँ उपयोगी भी होती हैं और हानिकारक भी, इसलिए उनका तर्क और समय के आधार पर मूल्यांकन आवश्यक है।

प्रश्न 2. बुरी परंपराओं के कारण समाज कैसे प्रभावित होता है?

उत्तर: बुरी परंपराएँ समाज को पिछड़ा बनाती हैं, भेदभाव बढ़ाती हैं और प्रगति रोकती हैं।

प्रश्न 3. भारतीय परंपराओं की एक सकारात्मक विशेषता लिखिए।

उत्तर: भारतीय परंपराओं में सहयोग, संस्कार और परिवार-भाव महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 4. पश्चिमी परंपराओं से हमें क्या सीखना चाहिए?

उत्तर: हमें पश्चिम की वैज्ञानिक सोच, स्वतंत्रता और प्रगतिशीलता से सीख लेनी चाहिए।

प्रश्न 5. परंपराओं को आँख मूँदकर मानना क्यों गलत है?

उत्तर: क्योंकि इससे हानिकारक परंपराएँ भी चलती रहती हैं और समाज में परिवर्तन नहीं हो पाता।

प्रश्न 6. शिक्षा परंपरा के मूल्यांकन में कैसे मदद करती है?

उत्तर: शिक्षा तर्क, विवेक और वैज्ञानिक सोच विकसित करती है, जिससे हम अच्छी और बुरी परंपराओं में अंतर कर पाते हैं।

प्रश्न 7. लेखक बुरी परंपराओं का क्या समाधान बताते हैं?

उत्तर: लेखक बुरी परंपराओं को त्यागने और उपयोगी परंपराओं को अपनाने का समाधान बताते हैं।

⭐ 40 Objective Important Questions (MCQ + One-liner)

1. ‘परंपरा का मूल्यांकन’ किस प्रकार की रचना है?

निबंध

2. ‘परंपरा का मूल्यांकन’ के लेखक कौन हैं?

रामविलास शर्मा

3. परंपरा का मूल्यांकन किस आधार पर होना चाहिए?

समय, तर्क और उपयोगिता

4. परंपरा का अर्थ क्या है?

लंबे समय से चली आ रही मान्यता/रीति-रिवाज़

5. कौन सी परंपरा बुरी परंपरा है?

छुआछूत

6. अच्छी परंपरा का उदाहरण क्या है?

सहयोग और संस्कार

7. बुरी परंपराओं का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

➡ समाज पिछड़ा रहता है

8. परंपराओं को आँख मूँदकर मानना कैसा है?

अनुचित

9. वैज्ञानिक दृष्टिकोण किससे विकसित होता है?

➡ शिक्षा से

10. परंपरा का अंधानुकरण क्या कहलाता है?

बिना सोचे-समझे अनुसरण

11. लेखक किस चीज़ के अंधानुकरण के विरुद्ध हैं?

पश्चिमी परंपराओं के अंधानुकरण के

12. भारतीय परंपराओं की एक अच्छी विशेषता है—

परिवार-भाव और संस्कार

13. समाज को आगे बढ़ने के लिए क्या आवश्यक है?

बुरी परंपराओं का त्याग

14. ‘कुरीति’ का अर्थ है—

समाज की बुरी परंपरा

15. शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है?

विवेक और तर्क विकसित करना

16. बुरी परंपराएँ किसे बढ़ावा देती हैं?

भेदभाव

17. अच्छी परंपराएँ क्या करती हैं?

समाज को मजबूत बनाती हैं

18. लेखक के अनुसार परंपरा किसकी देन है?

समाज की

19. समय के अनुसार क्या बदलना चाहिए?

परंपराएँ

20. पश्चिमी परंपराओं की अच्छी बात क्या है?

➡ वैज्ञानिक सोच

21. पश्चिमी परंपराओं की नकारात्मकता क्या है?

अत्यधिक भौतिकवाद

22. भारतीय परंपराओं में नकारात्मक पक्ष—

जाति-भेद

23. परंपरा कब उपयोगी मानी जाती है?

जब वह समाज के हित में हो

24. समानता किससे बढ़ती है?

अच्छी परंपराओं से

25. परंपरा का उद्देश्य क्या होना चाहिए?

समाज का कल्याण

26. ‘मूल्यांकन’ शब्द का अर्थ है—

परखना/जाँच करना

27. बुरे रीति-रिवाज़ों से क्या होता है?

समाज पिछड़ेपन में फँसता है

28. ‘अंधानुकरण’ का अर्थ है—

बिना तर्क के अनुसरण

29. लेखक किस दृष्टिकोण को अपनाने की बात करते हैं?

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

30. परंपराओं का सुधार किससे संभव है?

शिक्षा और विवेक से

31. परंपरा का विरोध करना कब उचित है?

जब वह हानिकारक हो

32. संस्कृति में क्या शामिल होता है?

मान्यताएँ, रीति-रिवाज़, आचरण

33. परंपराओं का प्रभाव किस पर पड़ता है?

व्यक्ति और समाज दोनों पर

34. परंपराओं को न पूरी तरह स्वीकार करना चाहिए, न—

पूरी तरह नकारना चाहिए

35. नई परंपरा किसकी देन होती है?

समाज के परिवर्तन की

36. समाज कब विकसित होता है?

जब वह बुराइयों को छोड़ देता है

37. परंपरा की सही परख किससे होती है?

तर्क और वैज्ञानिक सोच से

38. परंपरा का सही उपयोग किसके लिए है?

समाज की प्रगति के लिए

39. बुरी परंपराएँ क्यों चलती रहती हैं?

अंधविश्वास और अज्ञान के कारण

40. लेखक का अंतिम संदेश क्या है?

अच्छी परंपराओं को अपनाएँ, बुरी परंपराओं को त्यागें

निष्कर्ष:-

परंपरा का मूल्यांकन” हमें यह समझाता है कि परंपराएँ किसी भी समाज की पहचान होती हैं, लेकिन उनका अंधानुकरण समाज को आगे नहीं बढ़ाता। समय बदलता है, परिस्थितियाँ बदलती हैं, इसलिए परंपराओं को भी नए युग के अनुसार परखना आवश्यक है। लेखक रामविलास शर्मा ने तर्क, वैज्ञानिक सोच और शिक्षा को परंपराओं के मूल्यांकन का आधार बताया है।

अच्छी परंपराएँ व्यक्ति को संस्कारी, अनुशासित और समाज को संगठित बनाती हैं, जबकि बुरी परंपराएँ भेदभाव, अंधविश्वास और पिछड़ेपन को जन्म देती हैं। इसलिए हमें परंपरा के नाम पर किसी भी कुरीति को स्वीकार नहीं करना चाहिए।

आज के समय में यह संदेश और भी अधिक प्रासंगिक है कि हमें वही परंपराएँ अपनानी चाहिए जो मानवता, समानता और सामाजिक विकास को बढ़ावा दें।

समग्र रूप से यह निबंध हमें विवेकपूर्ण निर्णय लेने, समय के अनुरूप परिवर्तन स्वीकार करने और एक प्रगतिशील समाज बनाने का मार्ग दिखाता है।

Post a Comment

0 Comments